चीनी से जुड़ी बड़ी खबर- लक्ष्य से ज्यादा रह सकता है एक्सपोर्ट, फिर भी घरेलू मार्केट में नहीं बढ़ेंगे दाम
Sugar export: केंद्र सरकार ने इस साल के लिए 60 लाख टन का टार्गेट रखा है, जिसपर एक्सपोर्ट सब्सिडी भी दी जा रही है. हालांकि, सरकार ने पिछले हफ्ते एक्सपोर्ट सब्सिडी को 6 रुपए प्रति किलो से घटाकर 4 रुपए प्रति किलो कर दिया.
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के मुताबिक, अब तक करीब 57 लाख टन चीनी के एक्सपोर्ट सौदे हो चुके हैं. (PTI)
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के मुताबिक, अब तक करीब 57 लाख टन चीनी के एक्सपोर्ट सौदे हो चुके हैं. (PTI)
चीनी को लेकर एक बड़ी खबर है. इस साल चीनी का एक्सपोर्ट लक्ष्य से ज्यादा हो सकता है. इंडस्ट्री सूत्रों के मुताबिक सितंबर तक भारत से होने वाला चीनी का एक्सपोर्ट 65 लाख टन के भी पार जा सकता है. केंद्र सरकार ने इस साल के लिए 60 लाख टन का टार्गेट रखा है, जिसपर एक्सपोर्ट सब्सिडी भी दी जा रही है. हालांकि, सरकार ने पिछले हफ्ते एक्सपोर्ट सब्सिडी को 6 रुपए प्रति किलो से घटाकर 4 रुपए प्रति किलो कर दिया.
ज़ी बिज़नेस से खास बातचीत में द्वारिकेश शुगर के MD विजय बंका ने बताया कि सब्सिडी में कटौती के बावजूद एक्सपोर्ट पर कोई असर नहीं होगा. क्योंकि, ग्लोबल मार्केट में चीनी की कीमतें काफी ऊपर हैं. इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के मुताबिक, अब तक करीब 57 लाख टन चीनी के एक्सपोर्ट सौदे हो चुके हैं, जिसमें से 37 लाख टन का शिपमेंट भी हो चुका है. बंका का मानना है कि ऐसे में सब्सिडी कटौती कोई मायने नहीं रखती.
ग्लोबल मार्केट में चीनी महंगी
चीनी के ग्लोबल कारोबार पर नजर रखने वाले और इंडस्ट्री के जानकार ज़ी चंद्रशेखर का कहना है कि ग्लोबल मार्केट में जब तक रॉ शुगर का दाम 16 सेंट प्रति पाउंड के ऊपर रहेगा, तब तक भारत से चीनी का एक्सपोर्ट आसानी से जारी रहेगा. फिलहाल, इंटर कॉन्टिनेंटल एक्सचेंज पर इसका दाम 16.5 सेंट के ऊपर है और फरवरी में ये 18.90 सेंट प्रति पाउंड का भी स्तर छू चुका है. जो 4 साल का ऊपरी स्तर है. ऐसे में ग्लोबल मार्केट में चीनी 3000 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास बैठ रही है, जो घरेलू भाव के बराबर है.
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ज़ी चंद्रशेखर के मुताबिक, ग्लोबल मार्केट में रॉ शुगर को 16 सेंट के नीचे आने की गुंजाइश नहीं के बराबर है. इसके पीछे वे कच्चे तेल की ऊंची कीमतें और ब्राजील में सूखे को बड़ी वजह मान रहे हैं. इंडस्ट्री सूत्रों के मुताबिक, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से बिना सब्सिडी के करीब 2 लाख टन चीनी के एक्सपोर्ट सौदे हुए हैं. ऐसे में कुल एक्सपोर्ट का आंकड़ा 65 लाख टन के पार जाना तय है.
शुगर को क्रूड का सहारा
दरअसल, क्रूड की कीमतें बढ़ने से दुनिया में बायोफ्यूल के तौर पर एथेनॉल की डिमांड बढ़ने की उम्मीद है. भारत समेत दुनिया के सभी गन्ना उत्पादक देशों में एथेनॉल का उत्पादन बढ़ रहा है. भारत में पट्रोल में एथेनॉल का मिश्रण 7.5% तक पहुंच चुका है, जिसे 20% तक करने का लक्ष्य है. ऐसे में आगे चलकर चीनी के कारोबार पर मिलों की निर्भरता कम होगी. दूसरी ओर ब्राजील के कई इलाकों में सूखे जैसे हालात हैं, जिससे वहां गन्ने में चीनी की रिकवरी कम हो गई है.
लिहाजा पिछले साल के मुकाबले वहां करीब 80 लाख टन कम उत्पादन का अनुमान है. कुछ ऐसा ही हाल थाईलैंड का भी है. जबकि भारत में चीनी का सरपल्स उत्पादन है. इस वजह से ग्लोबल मार्केट में भारतीय चीनी मिलों को भरपूर मौके मिल रहे हैं. इंडोनेशिया, अफगानिस्तान और अफ्रीकी देशों में भारतीय चीनी की भारी मांग है.
शुगर सेक्टर में लिक्विडिटी सुधरी
नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज के MD प्रकाश नाइकनवरे का कहना है कि, "कोरोना काल में डिमांड प्रभावित होने के बावजूद चीनी मिलों के लिए ये अच्छा साल साबित हुआ है". पिछले कई सालों तक वित्तीय बदहाली झेलने वाले शुगर सेक्टर में लिक्विडिटी सुधरी है, इसकी सबसे बड़ी गवाही गन्ना किसानों को होने वाला भुगतान है. उत्तर प्रदेश में इस सीजन 60% से ज्यादा गन्ना किसानों का भुगतान हो चुका है, जबकि महाराष्ट्र में ये आंकड़ा 85% से ऊपर का है. गौर करने वाली बात ये भी है कि उत्तर प्रदेश में मिलों ने किसानों का पिछले 2 सालों का बकाया भी 100% चुकता कर दिया है.
घरेलू चीनी का भाव बेअसर
बेशक ये चौंकाने वाली बात है कि ग्लोबल मार्केट में एक अप्रैल से चीनी की कीमतों में करीब 15-20% की वृद्धि हो चुकी है और इस दौरान भारत से एक्सपोर्ट भी बढ़ा है. लेकिन इसके बावजूद घरेलू कीमतों पर इसका कोई असर नहीं दिखा. मिलें जिस भाव पर जनवरी में चीनी बेच रही थीं, आज भी उतना ही भाव है. दिल्ली में चीनी के कारोबारी सुधीर भालोटिया के मुताबिक, घरेलू बाजार में खपत के मुकाबले सप्लाई बहुत ज्यादा है. ऊपर से कोरोना काल में देश के बड़े शहरों में कर्फ्यू और पाबंदियों की वजह से मांग में काफी कमी आई है. ऐसे में मिलों पर स्टॉक निकालने का काफी दबाव है.
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के मुताबिक देश में चीनी उत्पादन 300 लाख टन के पार जा चुका है, जबकि खपत 250 लाख टन के आसपास रहने का अनुमान है. ऐसे में इस साल सितंबर में चीनी का क्लोजिंग स्टॉक 107 लाख टन रह सकता है. हालांकि, बढ़ते एक्सपोर्ट को देखकर व्यापारी इसे 90 लाख टन के आसपास मान रहे हैं. इसके बावजूद कीमतों पर खास असर की उम्मीद कम है, क्योंकि डिमांड के लिहाज से अहम माना जाने वाला गर्मी का मौसम अब समाप्ति की ओर है.
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02:08 PM IST